Friday, 25 April 2008

क्या है नेटशाला ?

हर तरह के हर ख्याल को अब तक बस मन में पाला,
आज उजागर होने दो उनको खुलने दो ये ताला,
हँसी- खुशी दुःख-दर्द सब बस बाँटने से ही बंटते,
चले आओ पथिक यहाँ पर स्वागत करती नेटशाला।

1 Comment:

Prabhakar Pandey said...

सुस्वागतम। शीर्षक काफी अच्छा है।